उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन ने किया विद्युत वितरण निगमो व विद्युत नियामक आयोग का औचित्य खत्म ।
खुला ब्याज का खेल।
1 months ago Written By: विपिन यादव
लखनऊ । उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन में अवैध रूप से विराजमान महाज्ञानी अनुभवहीन भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों ने राज्य विद्युत नियामक आयोग व विद्युत वितरण निगमो का औचित्य ही खत्म कर दिया और अपनी मनमर्जी से पूरा तंत्र चला रहे हैं चाहे उससे प्रदेश की जनता को जितना भी उत्पीड़न एवं कठिनाइयों का सामना करना पड़े और सरकार की कितनी भी किरकिरी क्यो ना हो जाए यह भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी करेंगे बस अपनी मनमर्जी चाहे वो निजीकरण करने का मसौदा तैयार करने वाली ब्लैकलिस्टेड कंपनी का चयन हो या फिर काल सेन्टर को एकीकृत करना हो या फिर आनलाइन बिजली का बिल ही क्यों ना जमा करने का काम हो करनी इन्होंने अपनी मर्जी और बंद कमरों में हुए पूंजी पतियों से डील के अनुसार ही किया जाना है ।
वर्तमान में सभी डिस्कामो / वितरण निगमो में स्मार्ट मीटर लगाने का काम युद्ध स्तर पर चलाया जा रहा है ताकि उपभोक्ता को समय से बिजली का बिल उपलब्ध कराया जा सके और दूसरी सुविधा घर बैठे आनलाईन बिजली का बिल जमा करने की भी सुविधा उपभोक्ताओं को लाभ दिया जा सके ।
देखने में तो बड़ी ही आकर्षक सुविधायुक्त योजनाएं हैं जिसे सभी वितरण निगमो को केन्द्र सरकार / राज्य सरकार के दिशा निर्देशानुसार प्रदेश में लागू किया जा रहा है
इसी में उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन में तैनात महाज्ञानी अनुभवी भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों ने इस योजना में कमाई का अवसर खोज लिया ।
जहां पूर्व में उपभोक्ता 30 दिन विद्युत का प्रयोग कर बिल आने के 10 दिनों में बिजली का बिल जमा करना होता था अब उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन में तैनात महाज्ञानी अनुभवहीन भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा कर एक आदेश पारित जारी किया जिससे कि सभी स्मार्ट मीटर प्रीपेड करने व नवीन संयोजन को पूर्णतः प्रीपेड करने का आदेश जारी कर दिया जिससे की जो पैसा उपभोक्ता भिन्न भिन्न टैरिफ प्लान के बाद जमा करते थे अब बिना टैरिफ प्लान के एडवांस यानी पूर्व भुगतान करना पड़ेगा । और जनता को यह पता भी नहीं चलेगा की उनसे क्या-क्या पैसा किन-किन मदों में मांगा जा रहा है क्या सरकार में बैठे पूर्व आईएएस एवं वर्तमान में ऊर्जा मंत्री यह बताना चाहेंगे की इस खेल में उनकी भागीदारी है कि नहीं है और सरकार की हो रही बदनामी में उनका क्या दायित्व है वह जनता के प्रति उत्तरदाई है या फिर निजी कंपनियां और प्रशासनिक अधिकारियों के खेल के मोहरे हैं । क्या सरकार या यह महाज्ञानी अवैध रूप से बैठे प्रशासनिक अधिकारी बताएंगे की किस अधिकार से इनके द्वारा पोस्टपेड कनेक्शन को प्रीपेड कनेक्शन में बदला जा रहा है क्या इसमें उपभोक्ता से सहमति प्राप्त की जा रही है
अब यही से इन बड़का बाबूओ ने अपने अधिकारो का फायदा उठा कर एक नया खेल खेलना शुरू कर दिया अब तक जो पैसा वितरण निगम अपने खातों में उपभोक्ताओं के द्वारा लिया करते थे अब वही पैसा उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के खाते में जाने लगा जबकि उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के पास ना तो वितरण का लाइसेंस है और ना ही उपभोक्ताओं से किसी भी तरीके का पैसा लेने का अधिकार है परंतु बड़का बाबू ने बिना किसी अधिकार के प्रीपेड मीटर के भुगतान के लिए बिल भुगतान के लिए कई ऐप बनवा लिए हैं जिससे वितरण निगम के पैसे सीधे उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के पास पहुंचता है उस पैसे के पहुंचने के 48 घंटे के बाद वह पैसा वितरण निर्गमन के खाते में पहुंचता है तो उपभोक्ता सोचते होंगे कि इसमें कौन सी बड़ी बात है इसमें कौन सा घोटाला है तो जो पूरे साल में 70 से 75 दिनों की छुट्टियां होती हैं उस समय अवधि में वह करोड़ों रुपया उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के खाते में बना रहता है उस पर मिलने वाला ब्याज किसके पास जाता है और उसका उपयोग कैसे होता है जो ब्याज वितरण निगम को मिलना चाहिए वह ब्याज उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन किस अधिकार से ले सकता है क्या यह बड़ा घोटाला तो नहीं जो धनराशि वितरण निगमो को उनके जोन / क्षेत्रीय कार्यालयों से प्राप्त होनी चाहिए थी अब उपभोक्ता से सीधे उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के खातों में जमा की जा रही है और इस धनराशि का जो कि ब्याज आ रहा है उसका उपयोग कौन कर रहा है व किस प्रयोजन में कर रहा है यह एक यक्ष प्रश्न है?
अगर इसका प्रयोग अध्यक्ष पावर कॉरपोरेशन व प्रबंध निदेशक पावर कॉरपोरेशन कर रहे हैं तो किस अधिकार से कर रहे हैं उसका कारण स्पष्ट होना चाहिए। अगर नहीं तो यह एक संगठित लूट है जिसकी जांच उच्च स्तर पर कराई जानी चाहिए वैसे बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन क्योंकि भ्रष्टाचार के इस हमाम में सभी नंगें है।