बसपा की लखनऊ में हुई शक्ति प्रदर्शन।
दलित मुस्लिम वोटो का समीकरण।
1 months ago
Written By: अरसद खान
लखनऊ।बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की लखनऊ में हुई शक्ति प्रदर्शन रैली ने समाजवादी पार्टी (सपा) के राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। बसपा की रैली में जुटी भारी भीड़ को देखकर सपा नेताओं की यह चिंता जायज़ है कि उनका वोट बैंक कहीं बसपा की ओर न खिसक जाए। इसके मुख्य कारण यह हैं:-
*दलित-मुस्लिम समीकरण:-* सपा का एक बड़ा आधार मुस्लिम और पिछड़े वर्ग में है, जबकि बसपा का मुख्य आधार दलित (अनुसूचित जाति) वर्ग है। यदि बसपा, जैसा कि उन्होंने रैली में दिखाने की कोशिश की है, मुस्लिम समाज के एक हिस्से को अपनी ओर खींचने में सफल होती है, तो सपा के पारंपरिक वोट बैंक (MY - मुस्लिम-यादव) में सेंध लग सकती है।
*वोटों का बिखराव:-* सपा को मुख्य खतरा यह है कि यदि मुस्लिम वोट बसपा और सपा के बीच बँट जाते हैं, तो इसका सीधा फायदा भाजपा को मिल सकता है, जैसा कि पिछले कुछ चुनावों में देखा गया है। बसपा की सक्रियता सपा के लिए वोटों के ध्रुवीकरण की रणनीति को मुश्किल बना देती है।
बसपा का पुनरुत्थान- मायावती की यह रैली बसपा को कमबैक करने वाली पार्टी के रूप में प्रोजेक्ट करने की एक बड़ी कोशिश थी। अगर यह संदेश ज़मीन पर सफल होता है, तो सपा के कई समर्थक, जो बसपा के कमज़ोर होने के कारण सपा में आए थे, वापस जा सकते हैं।
संक्षेप में, बसपा की रैली ने सपा के सामने यह चुनौती खड़ी कर दी है कि उन्हें अपने आधार को बचाए रखने और बसपा के बढ़ते प्रभाव का सामना करने के लिए नई राजनीतिक रणनीति बनानी होगी।