21 जुलाई से उत्तरी भारत में व्यापक रूप से भारी वर्षा। पंजाब, हरियाणा,
पंजाब, हरियाणा, उपरखण्ड, उत्तर प्रदेश में भारी वर्षा की सम्भावना।
3 months ago
Written By: अरसद खान
लखनऊ। 21 जुलाई से उत्तर भारत में मानसून का एक प्रमुख चरण सक्रिय होने वाला है, क्योंकि मानसून अक्षीय रेखा हिमालय की तलहटी के पास स्थानांतरित होकर स्थिर हो जाएगी। इस सामान्य स्थिति के कारण पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और आसपास के मैदानी इलाकों में मध्यम से बहुत भारी वर्षा की लंबी अवधि की संभावना है।
राज्यों में उच्च जोखिम वाले ज़िले:
• पंजाब: गुरदासपुर, पठानकोट, होशियारपुर, कपूरथला, फगवाड़ा, रोपड़, पटियाला
• हरियाणा: पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, करनाल
• उत्तर प्रदेश: सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, बलरामपुर
• हिमाचल प्रदेश: सिरमौर, सोलन, हमीरपुर, बिलासपुर, ऊना
• उत्तराखंड: नैनीताल, उधम सिंह नगर, चंपावत
इन ज़िलों में कई दिनों तक भारी बारिश होने की संभावना है, जिससे अचानक बाढ़ और लंबे समय तक बाढ़ की संभावना बनी रहेगी।
हिमालयी नदियाँ तेज़ी से उफान पर:
सीधी बारिश और पहाड़ों से बहते पानी के दोहरे खतरे के कारण कई नदियाँ अब कड़ी निगरानी में हैं:
व्यास, रावी, सतलुज (हिमाचल-पंजाब): ऊपरी इलाकों में बारिश और पहाड़ी पानी के बहाव के कारण इनके जलस्तर में तेज़ी से वृद्धि होने की उम्मीद है।
घग्गर, मारकंडा, तंगरी, सोम्ब (हरियाणा-पंजाब सीमा): अचानक स्थानीय बाढ़ की आशंका।
यमुना, गंगा, रामगंगा (उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश): प्रमुख निचली नदियाँ जिनमें बारिश के बाद भी बाढ़ का पानी जमा रहेगा, जिससे गंगा के मैदानों के बड़े इलाकों को खतरा होगा।
ये नदियाँ आस-पास के खेतों, ग्रामीण इलाकों और निचले शहरी इलाकों में, खासकर बाढ़ के मैदानी इलाकों में, उफान पर आ सकती हैं।
इन क्षेत्रों के निवासियों को आसमान साफ होने के बाद भी सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि समय के साथ बाढ़ का पानी नीचे की ओर बढ़ेगा।
भारी बारिश से निचले शहरी इलाकों में जनजीवन ठप हो सकता है, सड़कों पर जलभराव हो सकता है और सार्वजनिक परिवहन बाधित हो सकता है। ग्रामीण इलाकों में, खासकर नहरों और मौसमी नदियों के पास, कृषि भूमि जलमग्न हो सकती है और कच्चे घरों को नुकसान पहुँच सकता है। नदी के किनारे बसे गाँव विशेष रूप से असुरक्षित हैं।
पहाड़ी यात्रा सख्त मना:
इस अवधि के दौरान पहाड़ी राज्यों की यात्रा करने की सलाह नहीं दी जाती है।
भूस्खलन, अचानक बाढ़, टूटी सड़कें और मलबा गिरने की संभावना है:
• दक्षिणी हिमाचल प्रदेश (बिलासपुर, सिरमौर)
• उत्तराखंड का दक्षिणी गढ़वाल क्षेत्र
• जम्मू की पहाड़ियाँ
• नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र
लोगों से आग्रह है कि वे पहाड़ी क्षेत्रों में ट्रेकिंग, यात्राएँ और सप्ताहांत की यात्रा की योजनाएँ स्थगित कर दें। सतर्क रहें, घर के अंदर रहें और नदी के किनारों या पहाड़ियों पर जाने से बचें।
जुलाई के अंत तक बाढ़ की संभावना:
मानसून का यह सक्रिय चरण 25 जुलाई तक जारी रहने की संभावना है। हालाँकि, नदी जल संचय और निचले इलाकों में बाढ़ का प्रभाव इस अवधि के बाद जुलाई के अंतिम दिनों तक जारी रहेगा।
सभी नागरिकों, अधिकारियों और यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे अपडेट रहें और बाढ़ की हर चेतावनी को गंभीरता से लें।